कोरोना (Coronavirus) से अपने देश को बचाने में जुटे इस बेटे का दर्द शब्दों में बयां नहीं हो सकता.

कोरोना (Coronavirus) से अपने देश को बचाने में जुटे इस बेटे का दर्द शब्दों में बयां नहीं हो सकता. नर्सिंग इंचार्ज की ड्यूटी संभाल रहे बेटे ने मां के गुजर जाने पर कठोर फैसला लिया. उसने  कोरोना  (COVID-19) से जंग लड़ रहे लोगों को छोड़ने की बजाय मां की अंत्येष्टि में न जाने का रास्ता चुना और जन्म देने वाली मां पर मातृभूमि का प्यार भारी पड़ा.
ये कहानी है जयपुर के SMS हॉस्पिटल में आइसोलेशन और आईसीयू के नर्सिंग इंचार्ज राममूर्ति मीणा की. जो करौली के राणोली गांव के रहने वाले हैं. उनकी मां भोली देवी का देहांत हो गया. मगर देश के इस कर्मवीर ने अपने काम को चुना और कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे लोगों को बचाने के लिए मां के अंतिम दर्शन करने भी नहीं गया.
एक तरफ मरीजों की सेवा तो दूसरी तरफ आंसुओं को रोकते हुए राममूर्ति ने वीडियो कॉल पर मां के अंतिम संस्कार में भागीदारी की. मां के अंतिम दर्शन मोबाइल



पर ही हो पाए.